
पत्रकार हैदर अली
बरेली (उत्तर प्रदेश): स्वास्थ्य विभाग में गोपनीय मुलाकातों की खबरों ने जिले में हलचल बढ़ा दी है। बरेली के सीएमओ कार्यालय में तैनात उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी (डिप्टी CMO) डॉ. लईक अहमद अंसारी की कार्यशैली पर अब गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।सूत्रों की मानें तो जब निजी अस्पतालों और अल्ट्रासाउंड सेंटर के संचालकों की डॉ. अंसारी से मुलाकात होती है, तो वे इस बातचीत को अपने आधिकारिक कक्ष में नहीं, बल्कि ऑफिस के बिल्कुल बगल में मौजूद एक खासतौर से चुनी गई प्राइवेट जगह में करने को तरजीह देते हैं।और यही बात सवालों की जड़ बन गई है।—“ऑफिस छोड़ा… प्राइवेट रूम चुना!” — बढ़ा संदेहआमतौर पर, सरकारी विभागों मेंबैठकें दर्ज होती हैंसंबंधित फाइलिंग अनिवार्य होती हैऔर तय कक्ष में ही मीटिंग की जाती हैमगर बार-बार ऐसे गुप्त तरीक़े से मुलाकातें होना… नियमों की पारदर्शिता पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा रहा है।कुछ कर्मचारियों का कहना है कि> “सरकारी काम से जुड़े संवाद अगर आधिकारिक कमरे और रिकॉर्ड से बाहर हो रहे हों… तो इसका क्या मतलब निकाला जाए?”हालांकि, इस पर अभी तक विभागीय स्तर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।—“क्या छिपाया जा रहा है?” — जनता में चर्चा गर्मस्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा हर निर्णय सीधा आम जनता की जिंदगी पर असर डालता है। ऐसे में लोग यह जानना चाहते हैं कि —क्या मीटिंग्स में महत्वपूर्ण समझौते होते हैं?क्या निजी अस्पतालों के हित प्राथमिकता पा रहे हैं?सरकारी दायरे से बाहर बातचीत रखने की क्या मजबूरी है?जनता के बीच अब यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि अगर सब कुछ साफ और नियमानुसार है…तो परदे के पीछे जाने की जरूरत क्यों?—अधिकारियों की चुप्पी बढ़ा रही है रहस्यअब तक इस पूरे मामले पर सीएमओ कार्यालय और स्वयं डॉ. लईक की तरफ़ से कोई सफ़ाई नहीं दी गई है। चुप्पी जितनी लंबी…अटकलें उतनी गहरी!सूत्रों के दावे कहते हैं कियह “गोपनीय मीटिंग्स” कई बार हो चुकी हैंबातचीत का असली एजेंडा अज्ञात हैऔर कौन-कौन अंदर जाता है… इसका भी कोई स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं—शासन की नज़र कब पड़ेगी?प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग पहले ही कई विवादों और भ्रष्टाचार आरोपों से गुजर चुका है। ऐसे समय में यह मामला और दिलचस्प — और गंभीर हो जाता है।अब निगाहें इस बात पर हैं किजांच होगी या फाइल बंद?पारदर्शिता बढ़ेगी या ताले के पीछे खेल जारी रहेगा?—📌 नोट: यह खबर किसी पर प्रत्यक्ष आरोप लगाने के लिए नहीं है। उद्देश्य केवल सार्वजनिक हित, पारदर्शिता और नियम पालन को लेकर उठ रहे सवालों को सामने रखना है।
