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हिजाब नकाब विवाद पर गरमाई सियासत: मुस्लिम महिला के कथित अपमान को लेकर नीतीश कुमार से माफी की मांग

रिपोर्ट/हैदर अली

हिजाब नकाब विवाद पर गरमाई सियासत: मुस्लिम महिला के कथित अपमान को लेकर नीतीश कुमार से माफी की मांग,

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी की तीखी प्रतिक्रिया

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़ा एक कथित घटनाक्रम राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। मामला उस वक्त सामने आया, जब नौकरी के लिए जॉइनिंग लेटर लेने पहुंची एक मुस्लिम महिला के बुर्के या नकाब को हटाने की कथित कोशिश का आरोप लगाया गया। इस घटना को लेकर अब धार्मिक और सामाजिक संगठनों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने इस पूरे प्रकरण पर कड़ा ऐतराज जताते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आचरण पर सवाल खड़े किए हैं। मौलाना रजवी का कहना है कि किसी भी महिला के हिजाब या नकाब को हटाने की कोशिश उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता में सीधा हस्तक्षेप है और यह मुस्लिम समाज की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला कदम है।

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बयान में कहा कि हिजाब या नकाब किसी महिला का फैशन नहीं, बल्कि उसकी धार्मिक आस्था, पहचान और निजी अधिकार से जुड़ा हुआ विषय है। उन्होंने जोर देकर कहा कि चाहे कोई भी व्यक्ति कितना ही बड़ा संवैधानिक पद क्यों न संभालता हो, उसे किसी महिला की धार्मिक पहचान के साथ छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है। उनके अनुसार, इस तरह का व्यवहार न केवल महिला के सम्मान के खिलाफ है, बल्कि संवैधानिक पद की गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है।

मौलाना रजवी ने यह भी कहा कि भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जीवन जीने, अपनी पसंद के वस्त्र पहनने और अपनी जीवनशैली चुनने की पूरी स्वतंत्रता देता है। ऐसे में किसी महिला को सार्वजनिक मंच पर उसकी धार्मिक पहचान के कारण असहज करना या अपमानित करना संविधान की मूल भावना के विपरीत है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग करते हुए कहा कि यदि ऐसी घटनाओं पर समय रहते स्पष्ट और संवेदनशील प्रतिक्रिया नहीं दी जाती, तो इससे समाज में गलत संदेश जाता है। मौलाना के मुताबिक, इस कथित घटना से देशभर के मुसलमानों में नाराजगी और चिंता का माहौल है, क्योंकि इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप के रूप में देखा जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला केवल एक व्यक्ति या एक घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता, महिला सम्मान और संवैधानिक अधिकारों से जुड़े बड़े सवालों को भी सामने लाता है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी बयानबाजी और सामाजिक बहस और तेज होने की संभावना जताई जा रही है।

फिलहाल, इस घटनाक्रम को लेकर अलग–अलग वर्गों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं और निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार या मुख्यमंत्री की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया या स्पष्टीकरण आता है या नहीं।

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