बरेली जनपद की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था इन दिनों पूरी तरह चरमराई हुई है। मरीज सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने की बजाय मजबूरी में निजी अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों के पास जा रहे हैं। आरोप है कि इस बदहाली की सबसे बड़ी वजह मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर विश्राम सिंह, डिप्टी सीएमओ डॉक्टर अमित कुमार और डिप्टी सीएमओ डॉक्टर लईक अहमद की कथित जुगलबंदी है।सूत्रों के अनुसार, इन तीनों अधिकारियों के बीच आपसी सामंजस्य इतना गहरा है कि झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। नतीजतन, पूरे जनपद में अवैध क्लीनिक और अयोग्य डॉक्टर धड़ल्ले से फल-फूल रहे हैं। दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की कमी, डॉक्टरों की अनुपस्थिति और उपकरणों की खराब हालत आम बात हो गई है।स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी कोई शिकायत लेकर स्वास्थ्य विभाग जाता है तो फाइलें एक डेस्क से दूसरी डेस्क पर घूमती रहती हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। एक पीड़ित ने बताया, “हमने कई बार झोलाछाप डॉक्टरों की शिकायत की, लेकिन हर बार यही जवाब मिलता है कि ‘जाँच चल रही है’। जाँच कभी पूरी होती ही नहीं।”जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक में मरीजों को मूलभूत सुविधाएँ तक नहीं मिल पा रही हैं। गाँवों में एएनएम और आशा कार्यकर्ता भी मनमाने ढंग से काम कर रही हैं, क्योंकि ऊपर से कोई सख्ती नहीं है।जब इस मामले में सीएमओ डॉक्टर विश्राम सिंह से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। डिप्टी सीएमओ डॉक्टर अमित कुमार और डॉक्टर लईक अहमद ने भी कोई जवाब नहीं दिया।बरेली की जनता अब सवाल कर रही है आखिर कब तक ये तीनों अधिकारी मिलकर स्वास्थ्य विभाग को बंधक बनाए रखेंगे कब तक मरीजों को सरकारी अस्पतालों में विश्वसनीय और मुफ्त इलाज मिल पायेगा तीनों अधिकारियों की जुगलबंदी का एक नमूना सील हुए खुसरो अस्पताल के भवन में अन्नपूर्णा हाॅस्पिटल का सीएमओ ने रजिस्ट्रेशन कर देकर दिखाया जबकि सील हुए खुसरो अस्पताल को विभाग ने किलिन चीट नहीं दी फिर भी सीलबंद भवन में अन्नपूर्णा हाॅस्पिटल का रजिस्ट्रेशन कर देना यह ही तो जुगलबंदी है ना मै कहू तेरी ना तू कहे मेरी और अपनी जुगलबंदी रखो जारी
बरेली में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल: सीएमओ और दो डिप्टी सीएमओ की ‘जुगलबंदी’ से झोलाछाप डॉक्टर फल-फूल रहे, मरीज बेहाल
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