

बरेली। भोजीपुरा के ए-वन अस्पताल में चिकित्सकीय लापरवाही ने एक परिवार को तबाह कर दिया। डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों की गंभीर चूक से एक नवजात की मौत हो गई, और प्रसूता के पेट में ऑपरेशन के बाद कपड़ा छोड़कर टांके लगा दिए गए, जिससे उसकी जान पर बन आई। इस मामले ने जनता में आक्रोश पैदा कर दिया है। गुस्साए जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अस्पताल को सील करने का आदेश दिया और मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) की नाकामी पर कड़ी फटकार लगाई।पीड़ित ताहिर खान ने 6 सितंबर 2025 को जनसुनवाई में डीएम के सामने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि 3 जून 2025 को उनकी पत्नी को प्रसव के लिए ए-वन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ऑपरेशन के दौरान नवजात की मौत हो गई, और अस्पताल ने बिना उचित जांच के प्रसूता को डिस्चार्ज कर दिया। घर पहुंचने पर प्रसूता को पेट से खून और मवाद निकलने की शिकायत हुई। दूसरी जांच में पता चला कि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने पेट में खून साफ करने वाला कपड़ा (गॉज) छोड़ दिया था, जिसके कारण गंभीर संक्रमण फैल गया। हालत बिगड़ने पर दूसरे अस्पताल में प्रसूता का दोबारा ऑपरेशन हुआ, जिसमें उसकी बच्चेदानी निकालनी पड़ी। पीड़ित परिवार ने इस लापरवाही का वीडियो साक्ष्य भी पेश किया, जिसने अस्पताल की करतूत को उजागर कर दिया।डीएम अविनाश सिंह ने सीएमओ को आड़े हाथों लेते हुए सवाल किया, “निजी अस्पतालों की ऐसी लापरवाही कैसे चल रही है? स्वास्थ्य विभाग की निगरानी कहां है?” उन्होंने सीएमओ की ढीली कार्यशैली पर नाराजगी जताई और तत्काल छापेमारी कर अस्पताल को सील करने का निर्देश दिया। अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। डीएम के आदेश पर उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. लईक अहमद अंसारी और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शैव्या प्रसाद की दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है, जो मामले की गहराई से जांच कर रही है। डीएम ने चेतावनी दी कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी, और मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।इस घटना ने बरेली में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोग गुस्से में हैं और पूछ रहे हैं कि अगर डीएम की जनसुनवाई न होती, तो क्या यह मामला दब जाता? सीएमओ की नाकामी और निजी अस्पतालों की मनमानी पर जनता का गुस्सा फूट रहा है। लोग मांग कर रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही तय हो और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाएं।
