
स्वास्थ्य मंडी बरेली के भोजीपुरा स्थित ए वन हाॅस्पिटल के डाक्टर ने ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में कपड़ा छोड़ दिया बता दें कि स्वास्थ्य मंडी बरेली के थाना भोजीपुरा क्षेत्र स्थित ए वन हाॅस्पिटल में तीन जून को गर्भवती महिला नूरजहां को भर्ती कराया गया था नूरजहां के दुसरी डिलीवरी होना थी जिसके लिए गर्भवती नूरजहां का डाक्टर ने ऑपरेशन करने की सलाह दी और ए वन हाॅस्पिटल के डाक्टर ने ऑपरेशन कर दिया दरअसल यूपी के जनपद बरेली को योगी सरकार की सरकारी मशीनरी ने स्वास्थ्य मंडी में तब्दील कर दिया है जनपद के शहर से लेकर गांवों तक वैध अवैध मानकों के विपरित निजी अस्पतालों की मंडी सजी हुई है स्वास्थ्य विभाग की सांठगांठ से कई निजी अस्पतालों में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों इलाज कर रहे हैं स्वास्थ्य विभाग की सांठगांठ से ही मानकों के विपरित बिल्डिंग में निजी अस्पताल संचालित किया जा रहा है यहां पर आपको बताते चलें कि बरेली के भोजीपुरा स्थित ए वन हाॅस्पिटल के डाक्टर ने एक गर्भवती महिला का ऑपरेशन करने के दौरान महिला के पेट में कपड़ा छोड़ दिया जिससे महिला की तबीयत बिगड़ने लगी तो ए वन हाॅस्पिटल के डाक्टर ने अपने यहां पर ही महिला का अल्ट्रासाउंड कराया जिसमें साफ साफ महिला के पेट में कपड़ा देखा जा रहा और अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि महिला के पेट में कपड़ा है फिर भी ए वन हाॅस्पिटल के डाक्टर ने महिला का ठीक से इलाज नहीं किया और अगले दिन हाॅस्पिटल से छूट्टी कर दी जब महिला की हालत गंभीर होने लगी तो महिला के पति ताहिर खान अन्य एक निजी अस्पताल में लेकर गए जहां पर डाक्टरों महिला का दोबारा ऑपरेशन किया और कपड़ा पेट से निकाला कपड़ा पेट रहने के कारण महिला की बच्चेदानी खराब हो गई जिसको भी निकालना पड़ा और इस तरह महिला अब कभी मां नहीं बन सकती हैं इस पूरे घटनाक्रम की शिकायत पीड़ित ताहिर खान ने थाना भोजीपुरा पुलिस से की जिसपर थाना पुलिस ने ए वन हाॅस्पिटल के विरुद्ध मुकदमा दायर कर लिया और पुलिस खामोश बैठ गई वहीं दूसरी ओर पीड़ित ताहिर खान ने शिकायत निजी अस्पतालों के पालनहार मुख्य चिकित्साधिकारी से की हैं तो वहीं पर न्याय पाने के लिए पीड़ित जिलाधिकारी के भी चक्कर काट रहा है मगर जिलाधिकारी भी पीड़ित की सुनने को तैयार नहीं हैं उधर मुख्य चिकित्साधिकारी तो पीड़ित के शिकायती पत्र को लेकर खामोश ही बैठ गए हैं और पीड़ित न्याय के लिए दर बा दर ठोकरें खाता फिर रहा है जबकि मुख्य चिकित्साधिकारी के कार्यक्षेत्र में आता हैं कि यदि सीएमओ को शिकायत मिलती है कि डॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान पेट में कपड़ा छोड़ दिया है, तो सीएमओ को निम्नलिखित कार्यवाही करनी चाहिए:प्रारंभिक जांच1. *शिकायत की जांच*: सीएमओ को शिकायत की जांच करनी चाहिए और पीड़ित व्यक्ति से बात करनी चाहिए।2. *मेडिकल रिकॉर्ड की जांच*: सीएमओ को मेडिकल रिकॉर्ड की जांच करनी चाहिए और ऑपरेशन के दौरान की गई प्रक्रियाओं का विश्लेषण करना चाहिए।कार्यवाही1. *डॉक्टर को नोटिस*: सीएमओ को डॉक्टर को नोटिस जारी करना चाहिए और उनसे स्पष्टीकरण मांगना चाहिए।2. *मेडिकल बोर्ड का गठन*: सीएमओ को मेडिकल बोर्ड का गठन करना चाहिए जो इस मामले की जांच करे और डॉक्टर की लापरवाही का निर्धारण करे।3. *डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई*: यदि मेडिकल बोर्ड पाता है कि डॉक्टर ने लापरवाही की है, तो सीएमओ को डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जैसे कि:- *चेतावनी*: डॉक्टर को चेतावनी दी जा सकती है।- *जुर्माना*: डॉक्टर पर जुर्माना लगाया जा सकता है।- *लाइसेंस रद्द करना*: यदि डॉक्टर की लापरवाही गंभीर है, तो उनका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।पीड़ित व्यक्ति के लिए सहायता1. *पीड़ित व्यक्ति को सहायता*: सीएमओ को पीड़ित व्यक्ति को सहायता प्रदान करनी चाहिए और उनके इलाज के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।2. *मुआवजा*: यदि पीड़ित व्यक्ति को नुकसान हुआ है, तो सीएमओ को मुआवजे की व्यवस्था करनी चाहिए।मगर मुख्य चिकित्साधिकारी ए वन हाॅस्पिटल व उसके डाक्टर को बचाने के लिए पीड़ित को इधर से उधर भटका रहे हैं फिलहाल एक माह बीत गया पीड़ित ताहिर खान को न्याय नहीं मिला है और आगे उम्मीद भी नहीं है
