
बरेली में नगर निगम की नालियों और नालों पर अवैध कब्जों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में नालियों पर दुकानें, पार्किंग स्थल और अन्य निर्माण खुले आम संचालित हो रहे हैं, लेकिन नगर निगम विभाग की कार्रवाई केवल गरीब और कमजोर दुकानदारों तक ही सीमित रहती है। बड़े और प्रभावशाली लोगों पर निगम की चाबुक नहीं चलती, जिससे सुविधा शुल्क के खेल की आशंका गहरा रही है।थाना किला क्षेत्र में नालियों पर कब्जाथाना किला के लाल मस्जिद मोहल्ले में एक मेडिकल स्टोर नगर निगम की नाली पर संचालित हो रहा है। इसके बावजूद, नगर निगम ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। इसी क्षेत्र में मुन्ना कबाड़ी ने न केवल सड़क के दोनों ओर कब्जा किया है, बल्कि एक शौचालय पर भी अवैध रूप से कब्जा जमा रखा है। इन कब्जों के कारण नालियां साफ नहीं हो पा रही हैं, जिससे जलभराव और गंदगी की समस्या बढ़ रही है।पल्स अस्पताल द्वारा नाले पर चाय की दुकान और पार्किंगथाना बारादरी क्षेत्र में संचालित पल्स अस्पताल प्रशासन ने भी नगर निगम के नाले को पाटकर उस पर वाहन पार्किंग स्थल बना लिया है। इतना ही नहीं, नाले पर ही एक चाय की दुकान भी खुलवा दी गई है। इस अवैध कब्जे से राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) के मानकों के अनुसार, निजी अस्पतालों के लिए पार्किंग स्थल अनिवार्य है, लेकिन अधिकतर अस्पताल इस नियम का पालन नहीं करते।नगर निगम की चुप्पी, सांठगांठ की आशंकालगातार मीडिया में खबरें प्रकाशित होने के बावजूद नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। लाल मस्जिद में नाली पर चल रहे मेडिकल स्टोर और पल्स अस्पताल द्वारा नाले पर संचालित चाय की दुकान व पार्किंग आज भी बदस्तूर जारी हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि नगर निगम विभाग की मिलीभगत से ही ये अवैध कब्जे फल-फूल रहे हैं।नागरिकों में आक्रोश, कार्रवाई की मांगस्थानीय लोगों का कहना है कि इन कब्जों के कारण नालियों की सफाई नहीं हो पाती, जिससे बारिश के मौसम में जलभराव की स्थिति बनती है। राहगीरों को सड़कों पर चलने में भी दिक्कत होती है। नागरिकों ने नगर निगम से अवैध कब्जों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। बरेली नगर निगम की नालियों और नालों पर अवैध कब्जों का यह मुद्दा शहर की स्वच्छता और व्यवस्था पर सवाल उठाता है। यदि नगर निगम समय रहते प्रभावी कार्रवाई नहीं करता, तो यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है। सवाल यह है कि क्या नगर निगम केवल गरीबों पर ही कार्रवाई करेगा, या प्रभावशाली लोगों के खिलाफ भी चाबुक चलाने की हिम्मत दिखाएगा?