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मीडिया में प्रकाशित खबरों से मौज काट रहे है स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी…

बरेली : एक नहीं अनेकों झोलाछाप डॉक्टरों व अनमैरिड लड़कियों का गर्भपात करने जैसी खबरों। के प्रकाशन पर बरेली स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौज काट ते नज़र आते हैं बताते चलें आपको पिछले लंबे समय से मीडिया कर्मी शासन, प्रशासन ख़बरों के माध्यम से झोलाछाप डॉक्टरों के कारनामों से रूबरू करा रहे हैं जैसा कि जनपद के क़स्बा रिटौरा में एके पैथोलॉजी लैब का स्वामी फर्जी डॉक्टर के जाली हस्ताक्षर कर बीमारों को रिपोर्ट जारी करने के कारनामे से रूबरू कराया गया था जिसपर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने जमकर मौज काटी वहीं दूसरी ओर शहर के थाना इज्जत नगर के यूनिवर्स हॉस्पिटल के डॉक्टर ने दलित युवती के साथ छेड़छाड़ जैसे कारनामे को अंजाम दिया पुलिस ने अपना फ़र्ज़ निभाते हुए आरोपी डॉक्टर को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने लीपापोती कर सुविधा शुल्क के बल पर मामले को रद्दी की टोकरी में डाल दिया इधर देखा जाए एक भाजपा नेता ने अपने निजी अस्पताल का वार्ड अस्पताल परिसर से लगभग 100 मीटर दूरी पर टीन शेड की छत में लगभग 50 मरीज भर्ती कर इलाज़ कर रहा जा रहा है जो कि नियम विरुद्ध है इसकी खबर से मीडिया ने रूबरू कराया था वहीं पुरानी चाल चलन रवैये के साथ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौज काट रहे हैं इधर शहर के थाना किला क्षेत्र के मोहल्ला बाकरगंज स्थिति इंडियन हॉस्पिटल के नाम से संचालित है जिसमें डॉक्टर उर्फ ट्रक ड्राइवर इरफान मरीजों का इलाज़ करता है जिसकी भली भांति जानकारी स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को है सूत्रों की माने डॉक्टर उर्फ ट्रक ड्राइवर इरफान स्वास्थ्य विभाग का सुवधा शुल्क दाता है अब इधर देखा जाए थाना बारादरी क्षेत्र बीसलपुर रोड स्थिति लक्ष्य हॉस्पिटल टीन शेड की छत में चल रहा है जिसकी खबर से मीडिया के रूबरू कराया था यहां से ये जानकारी मिल रही है कि स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने मौज काटी है ठीक इसके सामने हम आजाएं यानि के जगतपुर रोड पर कई ऐसे निजी अस्पताल है जो नियमों के विपरीत है लगातार मीडिया कर्मी शासन प्रशासन को इन निजी अस्पतालों की कमियों से रूबरू करा रहा है वहीं पुरानी अदा पर स्वास्थ्य विभाग मौज काटने में मस्त है विभागीय सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ विश्राम सिंह का कहना है छोटी मोटी noc व कमियां निजी अस्पतालों में रही जाती है अब जो हम तो इन कमियों को नज़र अंदाज कर पंजीकरण कर ही देते हैं अगर देखा जाए डॉ विश्राम सिंह का ये कहना गैर कानूनी है क्योंकि सरकार ने निजी अस्पताल संचालित करने के लिए नियम व शर्तें निर्धारित की है उसके मुताबिक ही जिला स्तरीय स्वास्थ्य आधिकारियों को निजी अस्पताल का पंजीकरण जारी करना होता है अब देखना ये होगा योगी सरकार व जिला प्रशासन इस तरह कारनामों को अंजाम देने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व निजी अस्पताल के स्वामियों पर क्या कार्यवाही प्रकाश मे आएगी

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