
बरेली। जिले में संचालित एक सामाजिक संगठन “इंटेलेक्चुअल सोशल वेलफेयर एसोसिएशन (ISWA)” को लेकर इन दिनों कई सवाल खड़े हो रहे हैं। संगठन की संरचना और इसके सदस्यों को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं, खासतौर पर इस बात को लेकर कि इसमें बड़ी संख्या में सरकारी अधिकारी और कर्मचारी जुड़े बताए जा रहे हैं।सूत्रों के अनुसार, इस संगठन का संचालन पहले एक ऐसे अधिकारी से जुड़ा बताया जा रहा था, जो वर्तमान में बरेली के CMO कार्यालय में तैनात हैं। हालांकि, जैसे ही यह मामला चर्चा में आया, संबंधित अधिकारी ने सार्वजनिक रूप से संगठन से दूरी बना ली।CMO की चुप्पी पर भी उठे सवालइस पूरे मामले में जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विश्राम सिंह की भूमिका भी चर्चा का विषय बनी हुई है। बताया जा रहा है कि जब मीडिया द्वारा उनसे इस संगठन को लेकर सवाल किए गए, तो उन्होंने कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी और चुप्पी साधे रखी।क्लीनिक और अस्पतालों को लेकर आरोपसूत्रों का यह भी दावा है कि उक्त संगठन से जुड़े कुछ डॉक्टरों और उनके निजी अस्पतालों/क्लीनिकों के मानक पूरे नहीं होते। आरोप है कि ऐसे संस्थान कथित तौर पर “संरक्षण” की वजह से बिना मानकों के संचालित हो रहे हैं।सूत्रों के अनुसार, कुछ लोग प्रभावशाली पदों पर बैठे अधिकारियों के संगठन से जुड़े होने का हवाला देकर कार्रवाई से बचने का दावा भी कर रहे हैं। हालांकि, इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवालअब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या सरकारी पदों पर बैठे अधिकारियों के किसी निजी सामाजिक संगठन से जुड़े रहने से प्रशासनिक निष्पक्षता पर असर पड़ता है? और क्या इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी?फिलहाल, प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन मामला लगातार चर्चा में है और लोग पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।
