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चक चुंगी से उठा चादर का भव्य जुलूस, दरगाह शाहदाना पर उर्स का दूसरा दिन रौनक से भरपूर

रिपोर्ट / मुस्ताक़ सिद्दीकी

बरेली : कुतुबे बरेली स्थित हजरत शाहदाना वली रहमतुल्लाह अलैह के आस्ताने पर चल रहे सालाना उर्स के दूसरे दिन आज भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। फज्र की नमाज के बाद तिलावत-ए-कुरान पाक से शुरुआत करते हुए दरगाह पर संदल पेश किया गया। मस्जिद के इमाम मौलाना मुशाहिद रजा ने सलातो सलाम का नजराना मजार-ए-मुबारक पर चढ़ाया, जिससे वातावरण रूहानी जज्बातों से सराबोर हो गया।दोपहर की जौहर नमाज के बाद चक चुंगी से हाजी फुरकान के निवास स्थान से हजरत सूफी रिजवान मियां की सरपरस्ती में चादर का पारंपरिक जुलूस रवाना हुआ। यह जुलूस परंपरागत मार्ग से गुजरते हुए दरगाह शाहदाना वली पर पहुंचा, जहां शहजादा-ए-तहसीन-ए-मिल्लत हजरत सूफी रिजवान मियां ने चादरें पेश कीं। हिंदुस्तान में अमन-ओ-अमन व सलामती के लिए खास दुआएं की गईं, जो उर्स की मुख्य थीम रही।दरगाह के मुतवल्ली अब्दुल वाजिद खां बब्बू मियां ने जुलूस में शामिल श्रद्धालुओं की दस्तारबंदी की और लगर का तबर्रुक तस्कीम किया। आजम नगर से शीरोज सैफ कुरैशी की अगुवाई में मोहम्मद अमन चिश्ती, मोहम्मद अली रजा, इमरान साबरी आदि ने गिलाफ व फूल पेश कर दुआ-ए-खैर की।असर की नमाज के बाद चंदा मियां अशरफी ने मिलाद-ए-पाक की महफिल सजाई, जिसमें नात-ओ-मनकबतों से आगत श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। शाम ढलते ही रात 9 बजे दूरदराज से आए उलेमा-ए-इकराम ने आस्ताने पर रौनक बिखेरी। आलिम-ए-अमल फाजिल-ए-जलील हजरत अल्लामा मौलाना अब्दुल मुस्तफा रदोलवी साहिब किबला और हजरत अल्लामा मौलाना गुलाम यजदानी साहिब किबला ने सरकार गौस-ए-पाक ख्वाजा गरीब नवाज के वारिस-ए-पाक साबिर-ए-पाक सरकार शाहदाना वली की करामातों का बयान किया। उन्होंने रूहानी जिंदगी पर गहन रोशनी डाली, जो उपस्थित जनसमूह के लिए प्रेरणादायी साबित हुई।देर रात 1:38 बजे हजरत मुफ्ती-ए-आजम हिंद के कुल शरीफ की फतह के बाद अब्दुल वाजिद खां नूरी ने हिंदुस्तान में अमन-ओ-अमन, भाईचारा, सलामती, खुशहाली व तरक्की के लिए खास दुआ की। मीडिया प्रभारी वसी अहमद वारसी ने बताया कि कल 26 सितंबर को रात 10 बजे से महफिल-ए-समा का आयोजन होगा, जो देर रात तक चलेगा।उर्स की व्यवस्था में मुख्य भूमिका निभाने वालों में यूसुफ इब्राहिम, वसी अहमद वारसी, इमरान खां, मिर्जा शाहाब बेग, तौसीफ खान, मिर्जा मुकर्रम बेग, सलीम रजा, गुल्लाना खां, आफताब मियां, उस्मान अल्वी, हाजी फुरकान, मैतब मियां, रोनख साबरी, ताजिम साबरी, अशरफ साबरी, अजर साबरी, अब्दुल सलाम नूरी, जर्दब साबरी, बुरा, जावेद खां, शान रजा, सईद अहमद खां आदि शामिल रहे। बड़ी तादाद में लोग मौजूद रहे, जो इस उर्स की लोकप्रियता का प्रमाण है।यह उर्स न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि भाईचारे व शांति का संदेश भी देता है। आने वाले दिनों में भी भक्तों का आगमन जारी रहेगा।

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